गांव का नाम 'रावण'... लंकेश की होती जय-जयकार; यहां दशानन को भगवान की तरह पूजते हैं लोग, मंदिर बना है, मूर्ती के सामने गाते हैं आरती, कहानी जानिए
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Ravana Puja As God Bhagwan Ki Tarah Ravana Ki Puja Story Dussehra Ravana Dahan
Ravana Puja As God: रावण बेशक ब्राह्मण और विद्वान था लेकिन उसके आचरण ने उसके इतिहास को हमेशा-हमेशा के लिए लज्जित और कलंकित कर दिया। आज आलम यह है कि, रावण को एक बुराई के रूप में देखा जाता है और हर साल दशहरे के दिन लोग उसके पुतले का दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं।
लेकिन क्या आपको मालूम है कि अपने ही देश में कुछ ऐसी जगहें भी हैं जहां लोग रावण का दहन नहीं करते बल्कि उसे भगवान का दर्जा देते हैं और उसकी पूजा करते हैं। आरती उतारते हैं। अब अगर आप यह सब जानकर हैरत में पड़ रहे हैं तो अलग बात है लेकिन यह सच्चाई है और आज हम आपको एक ऐसी ही जगह से रूबरू भी करवाएंगे। यह जगह मध्यप्रदेश में है।
मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में होती है रावण की पूजा
दरअसल, मध्यप्रदेश के विदिशा ज़िले के नजदीक एक ऐसा गांव स्थित है जिसकी कहानी अपने-आप में बिलकुल अलग है। यानि एकदम जुदा। सबसे चौकाने वाली बात तो यही है कि इस गांव का नाम ही 'रावण' है और दूसरी चौंकाने वाली बात यह कि यहां रावण का एक प्रचीन मंदिर बना हुआ है। जिसका नाम है 'प्राचीन रावण बाबा मंदिर'। मंदिर में रावण की लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है। जिसकी पूजा में कोई कमी नहीं छोड़ी जाती।
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दशानन को भगवान की तरह पूजते हैं लोग
बतादें कि, गांव के लोग मंदिर में रावण की लेटी हुई इस प्रतिमा को भगवान की तरह पूजते हैं। रावण की लेटी हुई इस प्रतिमा की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है और ऐसा वर्षों से होता आ रहा है। इसके साथ ही जब कोई विशेष अवसर आता है तो मंदिर में उत्सव भी होता है। यह गांव ऐसा है जहां का हर दिन जय लंकेश-जय लंकेश के जयकारों के साथ बीतता है। लोगों ने अपने हाथों में भी जय लंकेश का नाम लिखा रखा है।
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रावण की पूजा जरुरी
गांव के लोगों का कहना है कि, गांव में जब भी कोई बड़ी पूजा (जैसे भागवत-यज्ञ) की जाती है तो रावण की पूजा का जरूर ध्यान रखा जाता है। रावण की पूजा के साथ ही कोई पूजा सम्पन्न होती है। लोग कहते हैं कि, मंदिर के पास एक तालाब है जिसका पानी गंगा जी के पानी कम नहीं। इस तालाब में स्नान किया जाता है।
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रावण की पूजा की मान्यता क्या?
बताते हैं कि, प्राचीन समय में यहां एक पर्वत पर रहकर एक दानव लोगों को हैरान किया करता था और रावण को ललकारता था। तभी एक दिन यहां पर रावण का आगमन हुआ। रावण ने उस दानव को सबक सिखाया और सबक सिखाने के बाद रावण ने यहां लेटकर थोड़ी देर तक विश्राम किया। कहते हैं कि, उस विश्राम की जगह ही आज रावण की पत्थर रुपी लेटी हुई प्रतिमा है।
इसके अलावा गांव के लोगों का यह भी कहना है कि रावण एक महान विद्वान था। वह एक प्रकांड पंडित था। इसलिए भी वह पूज्य है। वे कहते हैं कि रावण ने सीता माता को उठाने का जो गलत काम किया वह सिर्फ मोक्ष को पाने के लिए किया। बरहाल, जब दशहरे पर जगह-जगह रावण का दहन हो रहा होगा तो यहां पर रावण की खास पूजा की जा रही होगी।
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